बीच में बस कुछ दिन ही बाकी । कुछ हि दिनों बाद रोशनी का त्योहार दिवाली हैं। हर कोई अंधेरे विनाशकारी प्रकाश की पूजा के लिए तैयार है। मिट्टी के बर्तन और स्वदेशी आतिशबाजी उद्योग दिवाली पर सभी के घर के परिसरो को रोशन करने के लिए सभी तैयार है। हर कोई रंगों, चांदी और रोशनी के साथ आने वाले दिनों को रोशन करने की तैयारी कर रहा है।जब दिवाली के उत्सव की बात आती है तो स्वदेशी और बाहरी उत्पादों के बीच प्रधानता के मुद्दे को एक विशेष स्थान मिलता है। बाजार में चीनी उत्पादों जैसे रंगीन रोशनी, दीपक आदि के आगमन के साथ हम मिट्टी के लैंप के बारे में भूल जाते हैं।जिसके कारण कई कुम्हार जो दूसरों के घरों को रोशन करने की उम्मीद से मिट्टी के दीपक बनाते हैं, दिवाली के दिन घर में अंधेरा रहता है। यही समस्या हमारे स्वदेशी पटाखा उद्योग के मामले में भी देखी जा रही है।असम के बारपेटा का पारंपरिक स्वदेशी आतिशबाजी उद्योग रोशनी के त्योहार दिवाली के दिन को रोशन करने के लिए पहले से ही तैयार है। स्वदेशी कारीगर विभिन्न प्रकार की आतिशबाजी बनाने में व्यस्त हैं। बारपेटा जिला आोर असम के कइ जगहों पर कारीगर दिवाली को रोशन करने के लिए दिन-रात व्यस्त हैं।जब की दिवाली के कुछ दिन पहले से ही बाजारो में मिटी के बर्तन को लोगो के खरिदारी देखा जा राहा हैं.।